मंगलवार, 1 मार्च 2011

किसान की मदद करने कांग्रेस ने जनता से मांगा दान


जन सहयोग. सरकार द्वारा मदद नहीं किए जाने से मृतक के परिवार को मदद देने दान पेटी लेकर जनता के बीच पहुंचे कांग्रेसी
कर्ज से लदे किसान ने वसूली के लिए सख्ती किए जाने से परेशान होकर की थी आत्महत्या। 


जिला कांग्रेस कमेटी ने सोमवार को धरना प्रदर्शन करते हुए कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले किसान की मदद करने आम जनता से दान मांगा। कांग्रेसियों ने कहा कि रमन सरकार ऋण से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार की कोई सुध नहीं ले रही है इसलिए कांग्रेस आमजनता से दान मांगकर मृतक के परिवार की मदद करेगी। पहले कांग्रेसियों ने स्वयं दानपेटी में पैसे डाले इसके बाद व्यापारियों के अलावा आमजनता से भी दान मांगा। 

कांग्रेसियों की दान पेटी में रिक्शा चलाने वालों के अलावा छात्र-छात्राओं ने भी पैसे डाले। ज्ञापन लेने मौके पर पहुंचे तहसीलदार ने भी कांग्रेसियों द्वारा निवेदन किए जाने पर दानपेटी में पैसे डाले। धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कांगे्रेस नेताओं ने कहा कि किसानों के हितों की बात करने वाली रमन सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण परलकोट क्षेत्र के ग्राम पीवी ११४ का किसान अधीर हालदार है जिसने तहसीलदार द्वारा ऋण वसूली के लिए धमकाए जाने से क्षुब्ध होकर आत्महत्या कर ली। किसानों से कृषि ऋण में छह प्रतिशत ब्याज लेने की घोषणा करने वाली प्रदेश सरकार किसानों से १४ प्रतिशत की दर से ब्याज वसूल रही है। कांग्रेसियों ने मांग करते हुए कहा कि परलकोट क्षेत्र के मृतक किसान परिवार को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता तथा परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी दी जाए। किसान को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने वाले तहसीलदार के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाए। प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि नगरीय निकायों के अधिकार क्षेत्र में अनुचित हस्तक्षेप करते हुए समेकित एवं जलकर में वृद्धि के आदेश जारी कर उसकी स्वायत्ता को समाप्त कर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है। प्रदेश सरकार ने समेकित कर में दोगुना व तीन गुना वृद्धि कर दिया है। १४ जनवरी २०११ को नया आदेश जारी कर १८० रुपए जल कर वसूल करने का फरमान नगरीय निकाय को जारी किया है। इसी प्रकार बिजली के दरों में भी कई गुना वृद्धि के प्रस्ताव दिए गए हैं। प्रदेश सरकार महंगाई को कम करने के बजाए महंगाई बढ़ाने का काम कर आम जनता के ऊपर बोझ डाल उसकी कमर तोडऩे का काम कर रही है। प्रदेश सरकार से समेकित कर तथा पेयजल दरों में की गई वृद्धि को वापस लेने कर मांग की गई है। छत्तीसगढ़ नियामक आयोग द्वारा बिजली की दरों में प्रस्तावित वृद्धि को भी वापस लेने की मांग की।

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