रविवार, 8 जनवरी 2012

हे मां तुझे भुलाऊं कैसे?


हे मां तुझे भुलाऊं कैसे?
तेरे प्यार को बिसराऊं कैसे,
अपने बचपन को भूल जाऊं कैसे,
मां तुझसे दूर जाऊं कैसे, मां तुझे भुलाऊं कैसे .. ..
तेरी आंचल में मेरी नींद को,
मेरी बीमारी में उड़ी तेरी नींद को,
तुम्हारे हर उस लाड़ दुलार को,
खाने के लिए तेरे पुचकार को,
पढ़ाई के लिए तेरे डांट लताड़ को,
मेरे आंशू पोछे उस आंचल को, 
शैतानी पर तेरे हाथों की नरम पिटाई को,
फिर तेरे गर्म आंशू की उस रूलाई को,
मुझे मनाने खिलाई तेरी मिठाई को - कैसे भूल पाऊं मैं
मां तुझे भुलाऊं कैसे, तुझसे दूर जाऊं कैसे. .
नादान उम्र की उस भटकन को,
बचपन के उलझे प्रश्नो के उत्तर को,
जवानी की हर कटीले सांझ को,
जीने की दिखाई तेरी हर राह को,
समझदारी की तेरी हर बात को, कैसे भूल पाऊं मैं
मां तुझे भुलाऊं कैसे? तुझसे दूर जाऊं कैसे? तुम्हारी यादों से दूर हो जाऊं कैसे?
हमारे लिए उठाई तेरी हर कठिनाई को,
तेरे जीवन के हर पल संघर्ष को,
संघर्षो की तेरी हर लड़ाई को,
बिखरे परिवार की उस संवराई को, कैसे भूल पाऊं मैं. . .
मां तुझे भुलाऊं कैसे? तुझसे दूर जाऊं कैसे? तुम्हारी यादों से दूर हो जाऊं कैसे?
सबके दुखों से होना तेरे दुख को,
सबके खुशी में शामिल तेरी खुशी को,
सबके कष्ट निवारन करने की तेरी कला को,
इन सबको मैं पाऊं कैसे?
मां तुझे भुलाऊं कैसे? तुझसे दूर जाऊं कैसे? तेरी यादों से दूर हो जाऊं कैसे?
तेरे दिये इस अनमोल जीवन को,
तेरे संवारे मेरे उस यौवन को,
मुझे पहुंचाये हर उस मुकाम को 
मेरे रूठने पर तेरी मनुहार को, 
मुझसे नाराज होने की उस झूठे रूठन को,
अब मुझसे रूठी हो तो मनाऊं कैसे?
तेरे जाने से दुखी सबके मन में वो खुशी अब मैं लाऊं कैसे?
मां तुझे भुलाऊं कैसे? मां फिर से तुझे पाऊं कैसे,
तुम्हारे आंचल में अब मैं समाऊं  कैसे?
मां तुझे भुलाऊं कैसे? मां तुझे भुलाऊं कैसे?