रविवार, 27 मार्च 2011

कर वृद्धि से आक्रोषित नागरिकों ने स्वस्फूर्त बंद को सफल बनाया

कांकेर :- जिला कांग्रेस कमेटी ने नगरीय क्षेत्र में समेकित एवं पेयजल में की गई तीन गुना कर वृद्धि को वापस लेने की मांग को लेकर आज बंद का आव्हान किया था। नगर के व्यापारियों ने स्वस्फूर्त अपनी प्रतिष्ठानें बंद रख कर अपना समर्थन व्यक्त किया। कांकेर सहित जिले के ब्लाक मुख्यालयों में चारामा, नरहरपुर, अंतागढ़ व भानुप्रतापपुर नगर भी कर वृद्धि के विरोध में पूर्णत: बंद रहे।

कांकेर शहर के व्यापारी एवं नागरिकों ने संपत्तिकर, समेकित कर एवं पेयजल के टैक्स में कई गुना वृद्धि किये जाने से अपने आक्रोष का इजहार करते हुए अपनी व्यापारिक प्रतिष्ठानें स्वस्फूर्त बंद रखी। हालाकि कांग्रेस के नेता बंद को सफल बनाने के लिए सुबह से ही पैदल एवं मोटर सायकल से मुख्य सडक़ में निकल आये थे, किन्तु उन्हे बंद के लिए ज्यादा मशक्कत नही करनी पड़ी। कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकाने खुली रखी थी उनको बंद का कारण बताने पर अपनी दुकाने तत्काल बंद कर दी। बंद को सफल बनाने में जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजेश तिवारी, पूर्व मंत्री शिव नेताम, नगर पालिका अध्यक्ष पवन कौशिक, उपाध्यक्ष मनोज जैन, जितेद्र सिंह ठाकुर, दिलीप खटवानी, शहर कांग्रेस अध्यक्ष नरेश बिछिया, ग्रामीण अध्यक्ष नरोत्तम पटेल, पार्षद यासीन कराणी, आलोक श्रीवास्तव, रमेश गौतम, कृष्णकुमार अत्री, विजय यादव, ओम प्रकाश गिड़लानी, महिला कांग्रेस अध्यक्ष स्वर्णलता सिंह, वरलक्ष्मी ब्रम्हम, सुशीला देव, ज्योति साहू, पूजा बोरकर, रोशन आरा, ईसाक अहमद, विष्णु चौरसिया, राजेश शर्मा, लक्ष्मणपुरी गोस्वामी, सुरेश सोनी, अजय सिंह रेणु, श्यामल दत्तराय आदि कांग्रेस कार्यकर्ता सक्रिय रहे।
जनता से पैसे वसूल अध्यक्ष एवं पार्षदों का मानदेय व भत्ता बढ़ाना निंदनीय : तिवारी
जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजेश तिवारी ने बंद को सफल बनाने के लिए व्यापारियों एवं नागरिकों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार एक ओर गरीब एवं मध्यम वर्ग के नागरिकों पर टैक्स का बोझ बढ़ा कर उनका जीना मुहाल कर रही हैं, और दूसरी ओर गरीब जनता से पैसे वसूल कर नगरीय निकाय के अध्यक्ष एवं पार्षदों के मानदेय में कई गुना वृद्धि कर गरीबों का मजाक उड़ाने का काम कर रही हैं। प्रदेश सरकार के इस निर्णय की जितनी भी निंदा की जाय वह कम हैं। गरीब जनता के खून पसीने की कमाई को वसूल कर जन प्रतिनिधियों की सुविधा में वृद्धि करना नाजायाज हैं। अगर प्रदेश सरकार के पास अपनी जनता को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए पैसे नही है तो फिर जनप्रतिनिधियों के वेतन भत्ता बढ़ाने के लिए कहां से पैसे आ गये। यह निर्णय रमन सरकार की गरीब विरोधी मानसिकता को उजागर करता हैं।



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