रविवार, 24 अक्तूबर 2010

कांग्रेस में कालिख की राजनीति

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री व्ही. नारायण सामी के ऊपर कालिख फेकने की शर्मनाक घटना की जितनी भी निन्दा की जाए वह कम हैं। इस घटना से निःसंदेह पार्टी की छवि खराब हुई हैं एवं कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं में ऐसे कृत्य करने वालों को संरक्षण देने वाले नेताओं के प्रति घृणा की भावना जागृत हुई हैं। 
राजनीति में व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए राजनीतिक पद हासिल करने की होड़ लगी हैं, पार्टी के प्रति निष्ठा के स्थान पर व्यक्ति के प्रति निष्ठा जताने में लोग ज्यादा लग गये हैं। इसके लिए व्यक्ति नीचे गिर कर भी पद प्राप्त करने के लिए निकृष्ट हरकत करने से भी नही चुक रहा हैं। पार्टी के बडे़ बनने वाले तथाकथित नेता अपने स्वार्थों की पूर्ति करने के लिए अपने समर्थकों को मोहरा बना कर इस्तमाल कर रहे हैं। 
बस्तर संभाग के एक नेता जिसकी कभी पार्टी में तूती बोला करती थी, दलबदल करके अपनी प्रतिष्ठा को जनता के बीच समाप्त कर चुके हैं। उस नेता के एक समर्थक जो उनके साथ ही दलबदल करते रहा हैं ने प्रदेश कांग्रेस का सदस्य बनने के लिए इस घृणित कार्य को अंजाम दिया हैं। उक्त नेता के पुत्र ने लोकसभा चुनाव में पार्टी टिकट नही मिलने पर कांग्रेस महासचिव व्ही. नारायण सामी  का पुतला फंूक चुका हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को हराने के लिए पूरा परिवार प्रण प्राण से एकजूट होकर कार्य किया। कांकेर नगर पालिका परिषद के चुनाव में अपने पसंद के प्रत्याशी को टिकट दिलाने में असफल रहने पर खुलेआम एक निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया। प्रदेष कांग्रेस कमेटी के सदस्य बनाने एवं जिला कांग्रेस का पद दिलाने के लिए उन्हे सिर्फ अपना परिवार एवं कालिख की राजनीति करने वाले व्यक्ति की ही सिफारिश की। 
क्या कांग्रेस में ऐसे पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलग्न लोगों के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी ?
पार्टी में अनुशासन की दरकार
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं को आत्मचिंतन करने का समय आ गया हैं कि पार्टी को अपने स्वार्थों के लिए इस्तेमाल करने वाले नेताओं एवं कार्यकर्ताओ के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई कर ऐसे लोगों को पार्टी से निकाल बाहर करे। क्योंकि वे लोग पार्टी के भीतर रह कर पार्टी को खोखला करने में लगें हैं। 

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