रविवार, 13 नवंबर 2011

धान खरीदी घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हो : राजेश तिवारी


कांकेर: - प्रदेश सरकार के विरूद्ध कांकेर जिले में वर्ष 2010-11 में धान खरीदी में लगभग पचास करोड़ रू. का धान घोटाला करने का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के सचिव राजेश तिवारी ने केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री डा. चरणदास महंत को कांकेर प्रवास पर ज्ञापन सौंप धान खरीदी की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की हैं।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के सचिव राजेश तिवारी ने कृषि मंत्री को सौपे ज्ञापन के माध्यम से प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि कांकेर जिले में गत वर्ष अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसल खराब होने से धान की क्वालिटी भी खराब हो गई थी। प्रदेश सरकार ने उस धान को खरीदने से इन्कार कर दिया, जिसके कारण जिले के किसान कोचियों एवं व्यापारियों को मजबूरी में अपना धान बेचना पड़ा था। कांग्रेस के द्वारा खराब क्वालिटी की धान को खरीदने की मांग आप लोगों के माध्यम से की गई थी। जिसके आधार पर भारत सरकार के खाद्य, लोक वितरण एवं उपभोक्ता मंत्रालय ने केन्द्रीय जांच दल भेज कर किसानो के धान की जांच कराई थी। केन्द्रीय जांच दल ने किसानों की मांगों को जायज मानते हुए मंत्रालय के पत्र क्रमांक 8-1/2010-ह्य & ढ्ढ / दिनांक 8 मार्च 2011 के द्वारा राज्य सरकार के प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग को आदेश जारी कर खरीब फसल 2010-11 सीजन की बारिश में धान का रंग बदलने में 6 प्रतिशत एवं उसना में 6 प्रतिशत एवं चांवल के टूटन में 30 प्रतिशत की छूट प्रदान की थी। इस आदेश के अन्तर्गत छूट का लाभ जिले के किसानों को नही मिला क्योंकि राज्य सरकार ने सहकारी समितियों में पानी से रंग खराब हुए धान को खराब बता कर खरीदने से इंकार कर दिया एवं किसानो को  मजबूरी में धान को 700 रू. से 800 रू. में कोचियों व व्यापारियों को बेचना पड़ा था। उस धान को जिला प्रशासन, जिला विपणन अधिकारी एवं लेम्स सहकारी समिति की मिली भगत से फर्जी किसानों के नाम से लेम्स समिति में बेच दिया गया और उक्त केन्द्र सरकार के आदेश का फायदा राईस मिलर व व्यापारियों को मिला। जिला विपणन अधिकारी के कार्यालय में ही 40 से 50 लाख का कमीशन वसूल किया गया। कांकेर जिले में ही लगभग 50 करोड़ का धान खरीदी में घोटाला कर किसानों के साथ धोखा किया गया है। 
राजेश तिवारी ने मांग की है कि सत्र 2010-11 में कांकेर जिले में की गई धान खरीदी की जांच कराई जावे, सहकारी समिति में जिन जिन किसानों के पट्टे में धान खरीदी दर्शाया गया है उनके नाम व उनके जमीन के रकबे को सार्वजनिक किया जावे, फर्जी किसानों के नाम से जिन लोगों ने जिला विपणन अधिकारी एवं लेम्स समिति के कर्मचारियों के साथ मिली भगत कर धान को सहकारी समिति में बेचा है, उन सबके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जावे, केन्द्र सरकार के द्वारा जो छूट प्रदान की गई थी जिसका लाभ किसानों को मिलना था किन्तु उसका फायदा किसानों की नही मिल पाया, अत: फसल का मुआवजा प्रदेश सरकार से दिलाई जावे, सत्र 2011-12 के धान के खरीब फसल की खरीदी केन्द सरकार की निगरानी में किये जाये जिससे किसानों को लूट का सामना ना करना पडे।




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