मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

कव्वाली की प्रस्तुति ने मनमोहा

गढ़िया पहाड़ पर गीत गाएगी सीमा

कांकेर। गढ़िया महोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में सातवें दिन बनारस की कव्वाली गायिका तथा महाराष्ट्र के कव्वाल के बीच जंगी मुकाबला हुआ। कार्यक्रम देखने भारी भी़ड़ उम़ड़ी थी तथा अंत तक महोत्सव का पंडाल खचाखच भरा हुआ था। 

रात १० बजे दुर्गा अराधना के साथ शुरू हुआ कव्वाली का दौर सुबह ४ बजे तक चला। कव्वालन सीमा सबा ने देवी अराधना के बाद ऐसी प्रस्तुति दी कि श्रोता मंत्रमुग्ध बैठे रहे। भोजपुरी में प्रस्तुत कव्वाली में राधा कृष्ण के बीच नोक झोंक की प्रस्तुति को दर्शकों ने बेहद सराहा। इसके अलावा महाभारत के अभिमन्यु प्रसंग पर प्रस्तुत कव्वाली बेटा याद रखोगे की भूल जाओगे..को भी जमकर दाद मिली। कौमी एकता पर प्रस्तुत कव्वाली जो हिन्दू मुसलमान को आपस में ल़ड़ा दे यारों हमारे मुल्क का शैतान वहीं है..को भी दर्शकों ने बेहद पसंद किया। महाराष्ट्र के कव्वाल सलीम हाशमी ने भी देवी अराधना, कौमी एकता के साथ कव्वाली का दौर शुरू किया। जिसे दर्शकों ने सराहा। दोनों कव्वाली के बीच नोंक झोंक को भी श्रोताओं ने जमकर मजा लिया। कव्वाली का मुकाबला देखने शहर के अलावा दूरदराज गांवों से भी ब़ड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे तथा कार्यक्रम के अंत तक कव्वाली का आनंद लिया। कव्वाली के जंगी मुकाबले में बनारस की कव्वाल सीमा सबा महाराष्ट्र के कव्वाली सलीम हाशमी पर भारी प़ड़ी। 

गढ़िया पहाड़ पर गीत गाएगी सीमा 

गढ़िया महोत्सव आयोजन समिति ने बनारस की कव्वाली गायिका सीमा सबा को ग़िढ़या पहा़ड़, महोत्सव आदि के लिए अपनी आवाज में आडियो कैसेट बनाने प्रस्ताव दिया है। सीमा सबा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया तथा कुछ औपचारिकताओं के बाद शीघ्र ही कैसेट कांकेर की श्रद्घालु जनता के हाथों तक पहुंचेगा। ग़िढ़या पहा़ड़ पर तैयार होने वाले गीत का मुख़ड़ा होगा चलो चलते है ग़िढ़या पहा़ड़ वहां है माता का दरबार..विदित हो की सीमा सबा पिछले १२ वर्षो से कव्वाली कर रही हैं तथा उनकी आवाज में टी सीरिज ने कव्वाली के २५ एलबम बनाए हैं जो देश में बेहद लोकप्रिय भी हुए हैं। सीमा सबा ने देश के सभी प्रांतों में कार्यक्रम दिए हैं तथा दक्षिण अफ्रीका में भी कार्यक्रम दे चुकी हैं।कांकेर। ग़िढ़या महोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में सातवें दिन बनारस की कव्वाली गायिका तथा महाराष्ट्र के कव्वाल के बीच जंगी मुकाबला हुआ। कार्यक्रम देखने भारी भी़ड़ उम़ड़ी थी तथा अंत तक महोत्सव का पंडाल खचाखच भरा हुआ था। 


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